रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं स्वउपचार

इस वैश्विक महामारी के दौर में व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता जैसे प्रमुख विषय पर प्रकाश डालने के लिए मै न्यूजलैटर इस अंक मे मियास्म श्रंखला को रोक रही हूं। मीडिया द्वारा केवल मास्क पहनने एवं क्वारंटीन पर पर जोर दिया जा रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी के स्तर एवं आजीविका के साधनों का नुकसान जैसे लाॅकडाउन के विनाशकारी प्रभाव बहुत दुःखद हैं। लम्बे समय तक अलग-थलग रहने से होने वाले मनोवैज्ञानिक परेशानियों का तो कोई जिक्र ही नहीं है। स्वामी राम ने कहा था स्वउपचार की क्षमता प्रत्येक मनुष्य में निहित है। अतः शायद अब समय समय आ गया है कि हम अपने अंदर झांकें और बाह्य कारणों से होने वाली बीमारियों बचने के लिए स्वयं में निहित प्रतिरोधक क्षमता को सशक्त करने का प्रयास करें।

अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आप कई चीजें कर सकते हैं जैसे- पौष्टिक आहार, व्यायाम, श्वसन क्रियायें, शीथलीकरण, ध्यान तथा होम्योपैथी। अच्छे स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार एक मुख्य अवयव है जिसमें मुख्य रुप से क्षारीय खाद्य पदाथ जैसे- पकी हुई हरे पत्तेदार सब्जियां, दालें, फुल गोभी, ब्रोकोली, कंदमूल, अन्य ताजी सब्जियां, खट्टे फल, मौसमी फल, प्याज, लहसुन, अदरक। ताजे नींबू पानी का एक गिलास सबसे अच्छा क्षारीय पेय है। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो कि बिल्कुल न खायें जाय अथवा अल्प मात्रा में खायें जैसे- मांस, डेयरी उत्पाद, अनाज, कार्बोनेटेड पेय, शराब, काॅफी, कैफीन, मीठे पदार्थ, मैदा, चीनी। परिष्कृत तेल, ट्रांस वसा, पाम तेल, सभी प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, कृत्रिम स्वाद, संरक्षक और रासायनिक योजक से बचें। जैविक रूप से उगाया गया भोजन सर्वोत्तम है, और यदि आप इसे स्वयं उगाते हैं तो और भी बेहतर है। इसके अलावा, जो भोजन आप घर पर बनाते हैं वह हमेशा बाहरी स्रोतों से प्राप्त भोजन से बेहतर होता है।

व्यायाम का दैनिक नियम आवश्यक है। यह रोजाना बाहर टहलने जितना आसान हो सकता है। नियमित आधार पर किया जाने वाला हठ योग विशेष रूप से फायदेमंद होता है। यह आपको चुनना है कि किस प्रकार का व्यायाम आपके लिए उपयुक्त है। व्यायाम स्वस्थ हृदय और उचित वजन बनाए रखने का एक माध्यम है।

श्वसन क्रियायें और शीथलीकरण दैनिक जीवन में होने वाले तनाव के प्रभावों को नियंत्रित करने तथा तनाव को समाप्त करने में सहायक होते हैं। ध्यान के दैनिक अभ्यास से होने वाले लाभों को सभी स्तरों पर महसूस किया जा सकता है- शारीरिक, ऊर्जा, भावनात्मक और मानसिक। एक सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण निस्संदेह ही हमेशा व्यक्तिगत प्रतिरोधक क्षमता के लिए सहायक होता है।

होम्योपैथी में कई प्रकार के उपचार है जो एंटी-वायरल के रूप में प्रभावी हैं, विशेष रूप से रस टॉक्स और पल्सेटिला। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि महामारी के दौरान, जीनस एपिडेमिकस (वह उपचार जो वर्तमान महामारी के अधिकांश रोगियों में दिखने वाले अधिकांश सामान्य लक्षणों से मिलता है) लक्षणों की गंभीरता को कम करने, बीमारी की अवधि को कम करने एवं यहां तक कि उपचार में समर्थ है। काली म्यूरिएटिकम का प्रतिदिन सेवन सामान्य रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है। होम्योपैथिक उपचार के अतिरिक्त लाभ भी हैं जैसे- इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है, कोई अवशिष्ट लक्षण नहीं जो अन्यथा महीनों तक रह सकते हैं, प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत बनाता है। हालांकि किसी भी प्रकार का उपचार प्रारंभ करने से पूर्व आपको एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। अपना ख्याल रखना सीखें और एक स्वस्थ जीवन का आनंद लें!

डाॅ0 बारबरा बोवा
एच0ओ0डी होम्योपैथी विभाग

एचआईएचटी न्यूजलैटर, अंक: जून 2020

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *